Jayanti Devi Mandir

हरियाणा राज्य में स्थित जींद जिले को इसका नाम जैन्तापुरी से मिला है। जैन्तापुरी एक प्राचीन तीर्थ है जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। पांडवों ने देवी जयंती के सम्मान में जयंती देवी मंदिर का निर्माण किया था, जिन्हें सफलता एवं विजय की देवी माना जाता था। इस मंदिर के चारों ओर जैन्तापुरी नगर बसा जिसे बाद में जींद के नाम से जाना गया।

पुराणों के अलावा, यहाँ की गई खुदाई के आधार पर इस शहर की प्राचीनता को बताया गया है। हड़प्पन काल से पहले और बाद के कई चित्रित ग्रे वेयर मिट्टी के बर्तन इस जिले के आसपास पाए गए हैं। इसके अतिरिक्त प्राचीन पुराणों में इसके तीर्थों का उल्लेख भी प्राप्त वस्तुओं के निष्कर्ष में सहायता करता है।

श्री जयंती देवी मंदिर आज के समय में जिले का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह काफी पुराना मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर के नाम से ही जिले का नाम जींद पड़ा था। मंदिर का नाम प्रदेश के मानचित्र पर भी अंकित है।

इतिहास -

बताया जाता है कि समुंद्र मंथन के समय देव सेनापति जन्नत ने दानवों से अमृत कलश पाने के लिए इसी स्थान पर पूजा कर विजय का आशीर्वाद मांगा था और अमृत कलश को देवताओं को पास पहुंचाया था। इसके अलावा पांडवों ने विजय के लिए भी इसी मंदिर में पूजा की थी।

विशेषता

इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हर समय भंडारा चलता रहता है। उसमें दोपहर के समय में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोजन ग्रहण करने के लिए आते हैं। हर माह मंदिर में कोई न कोई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन होता रहता है। मंदिर में जो भक्त सच्ची भावना से पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह व शाम भजन-कीर्तन प्रस्तुत करती हैं।

मंदिर में श्रावण माह में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। उससे पहले भगवान शिव की मूर्ति को फल और फूलों से सजाया जाता है। मंदिर में सालभर कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

मंदिर से लोगों की आस्था गहरी है। इस बार सावन में मंदिर में आने वाले कांवड़ियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। कांवड़ियों के रहने से लेकर खाने पीने तक का इस बार विशेष ध्यान रख गया है, ताकि उन्हें परेशानी न हो।

जींद एवं इसके आसपास के पर्यटन स्थल

जींद एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और यहाँ देखने के लिए कई धार्मिक स्थल हैं। भगवान् शिव को समर्पित भूतेश्वर मंदिर हैं जहाँ भगवान् शिव को भूतनाथ कहा जाता है। इस मंदिर को जींद के शासक रघुबीर सिंह ने बनवाया था। धमतान साहिब में एक प्राचीन शिव मंदिर है और यहाँ ऋषि वाल्मिकी का आश्रम है, जिन्होंने रामायण महाकाव्य लिखा था। ऐसा माना जाता है कि जयंती मंदिर 550 साल से भी अधिक पुराना है।

रामराई या राम्हरादा में योद्धा ऋषि परशुराम द्वारा निर्मित पांच तालाब हैं। भगवान् परशुराम को समर्पित एक मंदिर पास ही है। हंसदेहर एक प्राचीन शहर है जो देखने योग्य है।नरवाना तहसील में स्थित हज़रत ग़ैबी साहिब को समर्पित एक मकबरा भी यहाँ पर है और भक्त बड़ी संख्या में यहाँ पर आते हैं। इस मकबरे में महान सूफ़ी संत हज़रत ग़ैबी साहिब के अवशेष रखे गए हैं।

सफीदों एक शहर है जिसमें तीन प्रागैतिहासिक धार्मिक केंद्र हैं और इसके अलावा यहाँ नागेश्वर महादेव, नागदामिनी देवी और नागक्षेत्र के मंदिर भी है। जींद जिले से पांच किमी दूर इक्कास गाँव में स्थित एकहंस मंदिर भी एक अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

अश्विनी कुमार तीर्थ एक धार्मिक स्थल है। इनका उल्लेख महाभारत में मिलता है। शास्त्रों के अनुसार अश्विनी कुमार तीर्थ के पवित्र जल में स्नान करने पर तीर्थयात्रियों की आत्मा शुद्ध हो जाती है और उनका उद्धार हो जाता है। इस पवित्र स्थल के पानी में कई रोगनाशक गुण हैं और ये पानी कई असाध्य रोगों को ठीक कर सकता है।

भगवान् विष्णु को समर्पित एक मंदिर वराह तीर्थ बारह गाँव में स्थित है जो मुख्य जींद शहर से दस किमी दूर है। ऐसा माना जाता है कि भगवान् विष्णु यहाँ रुके थे जब उन्होंने सूअर का अवतार लिया था।

जींद से छह किमी दूर निर्जन गाँव में एक पवित्र स्थल मुन्जावत तीरथ स्थित है जो देवताओं के स्वामी भगवान् महादेव को समर्पित है। यक्षिणी महाग्रही को समर्पित एक मंदिर यक्षिणी तीर्थ में स्थित है जो जींद से आठ किमी दूर दखनीखेरा गाँव में है।

पोंकर खेडी गाँव में पुष्कर पवित्र स्थल है। ये जगह जींद के दक्षिण में ग्यारह किमी दूर स्थित है। यह एक अन्य प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार इसका निर्माण परशुराम ने किया था। बाबा फोंकर मंदिर एक अन्य धार्मिक स्थल है जहाँ लोगों का विश्वास और आस्था है।

कायाशोधन धार्मिक स्थल, कसोहन गाँव में स्थित है जो जींद के उत्तर में सोलह किमी दूर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् विष्णु ने इस स्थान पर स्नान कर कायाशोधन, लोकोद्दर को उत्पन्न किया था।

श्री तीर्थ, जींद जिले की नरवाना तहसील के सिमला गाँव में स्थित है। इस तीर्थ को पूजा के लिए सर्वोच्च स्थान के रूप में माना जाता है। इस तीर्थ के पास एक पवित्र तलाब भी है और इसमें स्नान करने पर भक्तों को असीम शांति एवं प्रसन्नता का अनुभव होता है।

जींद जिले की नरवाना तहसील के संघन गाँव में एक अन्य पवित्र स्थल है जो एक देवी को समर्पित है। इस तीरथ में, विशेषकर महिलाओं द्वारा, पूजा किये जाने पर उन्हें शंखिनी के लक्षणों का आशीर्वाद मिलता है।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Pandu Pindara

Bulbul Hotel

Rani Talab